आज का दिन हम मनाते हैं भारतीय ब्लैक डे के रूप में, आज दिन है उनकी शहादत को याद करने का जिन्होंने कर दिया देश प्रेम में अपने को समर्पित - श्रुति केशरवानी।।

 आज का दिन हम मनाते हैं भारतीय ब्लैक डे के रूप में, आज दिन है उनकी शहादत को याद करने का जिन्होंने कर दिया देश प्रेम में अपने को समर्पित - श्रुति केशरवानी।। 


पेंड्रा (उज्जवल तिवारी)। आज जहाँ सम्पूर्ण विश्व वेलेंटाइन डे मना रहा है, वहीं आज का दिन हम भारतीय ब्लैक डे के रूप में मानते हैं। आज दिन है उनकी शहादत को याद करने का जिन्होंने देश प्रेम में अपने को समर्पित कर दिया। उक्त बात श्रुति केशरवानी, पिता- धर्मेंद्र केसरवानी, पेंड्रा, बी .ए . सोशियोलॉजी , आईजीइनटू ने कहा है उन्होने बताया कि हाँ मैं उस 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा अटैक के दिन की बात कर रही हूँ। जिसमें जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले सी.आर.पी.एफ. के वाहनों के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें 40 भारतीय सुरक्षा कर्मियों की जान गयी थी। यह हमला जम्मू और कश्मीर के पुलवामा जिले के अवन्तिपोरा के निकट लेथपोरा इलाके में हुआ था। वो भी तो इन्सान ही थे हमारी तरह, शायद वह भी किसी के वैलेंटाइन रहे होंगे। इंतजार तो उनका भी किया जा रहा होगा उनके प्रेमियों द्वारा। परन्तु वे ना तो अपने उस प्रेम के लिए पीछे हटे और ना ही अपनी जिम्मेदारी से मुँह मोड़ा है। प्रेम याद रहा उन्हें तो केवल अपनी मात्रभूमि का, निभाई भी आशिकी तो अपने देश के प्रति। भूल गये वो अपनी सारी निजी जिमेदारियों और फर्ज को। उनके परिवार को तो सोचना चाहिए कि कैसा बेटा, कैसा पति, कैसा पिता, कैसा भाई, कैसा प्रेमी है मेरा, जिसनें हमारा ख्याल करनें के बजाय बिना कुछ सोंचे-विचारे अपना सब कुछ देश के लिए समर्पित कर दिया। पर कितने भाग्यशाली समझते हैं।

वह माता-पिता खुद को कि उन्होंने ऐसे पुत्र को जन्म दिया और उसे इतने अच्छे संस्कार दिए और इस काबिल बनाया कि सबसे पहले वह देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाए। नमन है ऐसे माता-पिता को जिन्होंने ऐसे वीर सुपूत को जन्म दिया जो अपनी भारत माता के लिए न्योछावर होने को तैयार है। और बहुत खुशनसीब हैं वो बहनें जिनकी राखी का फर्ज निभाने भाई ना केवल अपनी अपितु संपूर्ण देश की बहनों की रक्षा करने के लिए तैनात रहते हैं। और उन प्रेमिकाओं का समर्पण भी अतुलनीय है जिन्होंने अपने जीवन साथी को देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है, और उन मासूम नन्हे बच्चों का तो कहना ही क्या जिन्होंने अपना बचपन पिता के इंतजार में गुजार दिया हो। वाकई बहुत बड़ा हृदय है सभी का जो अपने प्रिय व्यक्ति को देश को सौंप देते हैं। 

यह अतुलनीय योगदान केवल उन जवानों का ही नही, साथ ही उनके परिवार का भी होता है। तो मेरे देश वासियों, अपने देश और उन तमाम शहीदों के लिए एक पल का समय निकाल कर, उनके बलिदानों को याद कर एक दीपक जला देना। हर एक दीपक प्रतिबिम्ब होगा उनके दिए बलिदानों का, और यह हौसला दिलाएगा उनके परिवार जनों को कि यह देश उनके साथ खड़ा है। ताकि देश से आशिकी करने वालों की महफिलें हमेशा रौनक रहें, और पूरा संसार इनकी आशिकी का मंजर देखे। यह वैलेंटाइन तो कुछ भी नहीं है, असली आशिकी तो देश प्रेम में होती है। और यदि एक जवान अपनी आशिकी निभाने पर आ जाए, तो हँसकर बलिदान भी दे देता है। और यही आशिक अमर हो जाते हैं, और चढ़ा देते हैं अपनी आशिकी का लाल रंग देश के तिरंगे में, और देश के प्रति अपना फर्ज पूरा करने में। वहीं अगर किसी पर मर मिटने को इश्क कहते हैं. तो एक जवान से बड़ा कोई आशिक नहीं होता।।।

Post a Comment

0 Comments