पूर्ववर्ती भूपेश सरकार की वादा खिलाफी तथा वर्तमान भाजपा सरकार के द्वारा भी मुआवजा राशि स्वीकृत नहीं कर पाने से पेण्ड्रा बाईपास सड़क निर्माण का काम है अटका।।
भूपेश सरकार ने पहले निविदा प्रकाशित कराया और फिर मुआवजा राशि रोककर निविदा निरस्त करवाकर दिया था धोखा, दुर्घटनाओं से बचाव के लिए पेण्ड्रा के नागरिक कर रहे बाईपास सड़क की राशि आबंटित करने की मांग।।
पेंड्रा (उज्जवल तिवारी)। छत्तीसगढ़ राज्य की पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के धोखे और वादा खिलाफी तथा वर्तमान की भाजपा सरकार द्वारा भी मुआवजा राशि स्वीकृत नहीं कर पाने के कारण पेण्ड्रा बाईपास सड़क निर्माण का काम अटका हुआ है। भूपेश सरकार ने मरवाही विधानसभा उप चुनाव प्रभावित करने के लिए पहले इस सड़क का निविदा प्रकाशित कराया था और फिर मुआवजा राशि अटकाने के बाद निविदा निरस्त करवाकर पेण्ड्रा वासियों और बाईपास सड़क में पड़ने वाले गांवों के ग्रामीणों को धोखा दिया था।
बता दें कि 13 किलोमीटर लंबाई के पेण्ड्रा बाईपास सड़क के लिए 54.25 करोड़ रुपए की राशि की स्वीकृति वर्ष 2016 में नगर पंचायत पेण्ड्रा की तत्कालीन अध्यक्ष के साथ ही पत्रकारों एवं लोगों की मांग एवं पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की पहल पर डॉ. रमन सिंह की सरकार के कार्यकाल में हुई थी। उसके बाद सितंबर 2018 में डॉ. रमन सिंह ने इस सड़क का भूमि पूजन भी किया था, लेकिन उस दौरान भूमि अधिग्रहण संबंधी दस्तावेज पूर्ण नहीं हो पाने के कारण सड़क निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया था और वर्ष 2018 का विधानसभा का चुनाव आ गया था।।।
इस दौरान वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जो घोषणा पत्र जारी किया था, उसमें उन्होंने वायदा किया था कि उनकी सरकार बनने के बाद शासकीय प्रयोजन के लिए जो भी भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, उसका शासकीय मूल्य से 4 गुना राशि मुआवजा दिया जाएगा। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ राज्य में बनी थी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद कांग्रेस सरकार ने भूमि अधिग्रहण के संबंध में 4 गुना मुआवजा देने का नियम भी लागू कर दिया। इससे पेण्ड्रा बाईपास सड़क की लागत में काफी वृद्धि हो गई, जिसकी जानकारी विभाग के माध्यम से शासन को कई बार भेजी गई। लेकिन शासन ने पेण्ड्रा बाईपास के लिए मुआवजा राशि का आवंटन जारी नहीं किया। यही कारण है कि पेण्ड्रा बाईपास सड़क का निर्माण नहीं हो पा रहा है जिससे पेण्ड्रा शहर के ट्रैफिक में भारी वाहनों के आवाजाही के साथ ही छोटे वाहनों के ट्रैफिक का भी भारी दबाव रहता है। इन्हीं सब कारणों से भी आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं और लोगों की उसमें असमय मौत भी होती है।
रविवार को दुर्घटना में युवा व्यवसायी अंकित अग्रवाल की मौत के बाद पेण्ड्रा बाईपास के लिए राशि आवंटन करने की मांग जनता के बीच फिर से जोर पकड़ ली है। नागरिकों की मांग है कि पेण्ड्रा बाईपास के लिए सरकार को तत्काल राशि आवंटित करनी चाहिए, जिससे कि पेण्ड्रा बाईपास सड़क का निर्माण जल्द से जल्द हो सके।
भूपेश सरकार ने पहले निविदा प्रकाशित कराया और फिर निविदा निरस्त करवाकर दिया था धोखा।।
""बता दें कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और मरवाही विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक स्वर्गीय अजीत जोगी का 29 मई 2020 को निधन हो गया था। इससे मरवाही विधानसभा की सीट रिक्त हो गई थी। चूंकि पेण्ड्रा बाईपास सड़क में अधिग्रहित होने वाली भूमि में पेण्ड्रा नगर के किसानों की भूमि के अलावा मरवाही विधानसभा क्षेत्र के गांवों अमरपुर, भदौरा, सेमरा, बंधी, अड़भार, कुड़कई के किसने की भूमि का भी अधिग्रहण होना है और इन गांवों के लोगों को भी बाईपास सड़क बनने का लाभ मिलना है। इसलिए मरवाही विधानसभा क्षेत्र के इन गांवों के मतदाताओं के मतों को प्रभावित करने के उद्देश्य से उपचुनाव के तारीखों की घोषणा से पहले भूपेश बघेल सरकार ने पेण्ड्रा बाईपास सड़क निर्माण की मांग के महत्व को देखते हुए लोक निर्माण विभाग के माध्यम से इस सड़क की निविदा निकलवाई थी। लेकिन जैसे ही विधानसभा का उपचुनाव संपन्न हुआ, वैसे ही सरकार के इशारे पर लोक निर्माण विभाग ने निविदा को निरस्त भी कर दिया था। इसके बाद भूपेश सरकार ने ना तो पेण्ड्रा बाईपास के लिए राशि आवंटित किया था और ना ही दोबारा निविदा निकलवाया था। यही कारण है कि भूपेश बघेल सरकार के धोखे के कारण पेण्ड्रा बाईपास सड़क निर्माण का काम आज भी अटका हुआ है।।।""

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